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आचार्य श्रीराम शर्मा >> आकृति देखकर मनुष्य की पहिचान

आकृति देखकर मनुष्य की पहिचान

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :41
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 372
आईएसबीएन :00-000-00

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लोगो की आकृति देखकर उनका स्वभाव पहचानना मनोरंजक तो होता ही है, परंतु इससे अधिक यह अनुभव आपको अन्य लोगों से सही व्यवहार करने में काम आता है।


दाँत


आपने देखा होगा कि छोटे शिशुओं के प्रारम्भिक दाँत जिन्हें दूध के दाँत कहते हैं-प्राय: साफ, स्वच्छ, एकसे, पंक्ति बद्ध और एक सीध में निकलते हैं। यह मनुष्य के स्वाभाविक दाँतों का चित्र है। दुनियाँ में आकर बालक जिन शारीरिक और मानसिक संस्कारों को ग्रहण करता है वे धीरे-धीरे जड़ जुलते हैं औ आठ दस वर्ष की अवस्था तक बहुत कुछ पक्के हो जाते हैं।

मानव शरीर शास्त्र के आचार्यों का कहना है कि छ: वर्ष की उम्र तक जितना ज्ञान प्राप्त किया जाता है फिर सारे जीवन में उससे कम मात्रा में ही ज्ञान संचित होता है। बचपन में विभिन्न मार्गों से जो संस्कार बालक के हृदय पटल पर पड़ते हैं, उनसे शरीर और मस्तिष्क एक अदृश्य ढाँचे में ढलता है। यह ढलाई दाँतों को देखकर पहचानी जा सकती है। बचपन की आदतों का कुछ परिचय दाँतों को देखकर प्राप्त किया जा सकता है।

साफ, सीधे, एकसे, बराबर के दाँत मनुष्य की स्वाभाविक स्थिति के द्योतक हैं, ऐसे दाँत वालों में एक भले मानस के प्राय: सभी आवश्यक गुण पर्यात मात्रा में पाये जाते हैं। ऊबड़-खाबड़, टेढ़े-मेढ़े असमान और कुरूप दाँत बुरे स्वास्थ्य और बुरे स्वभाव की कहानी कहते हैं। लम्बे दाँत बड़ी आयु वालों के, छोटे दाँत बीमारों के और नुकीले दाँत हिंसक पशुओं जैसे स्वभाव का होना बताते हैं।

आगे की ओर निकले हुए दाँत कंजूसी, लालच, बहुत जमा करने की हविश का होना प्रकट करते हैं। दाँतों का बढ़ाव जितना ही आगे की ओर होगा उतनी ही कंजूसी अधिक होगी। खर्चीले आदमियों के दाँत प्राय: कभी भी इस प्रकार के नहीं पाये जाते। निकले हुए दाँतों वाले यदि कुछ उदारता दिखावेंगे भी तो वह यश कमाने, बड़ा बनने प्रायश्चित करने की भावना से होगी, दया द्रवित होकर यज्ञ भावना से उनकी उदारता देखने को न मिलेगी। दाँतों का कुछ थोड़ा-सा झुकाव भीतर की ओर हो तो यह दब्बूपन और लज्जाशीलता का चिह्न है यदि वे जरा आगे की ओर झुक रहे हों तो दवंगपन, तेजी कठोरता, और शासक वृत्ति का होना बताते हैं।

जिनके मसूड़े बहुत बड़े भारी और लटके हुए हैं समझना चाहिए कि यह व्यक्ति बहुत जिद्दी, कट्टर, अडियल, आक्रमणकारी और छीन-झपट करने वाला होगा। हलके और छोटे मसूड़े वाले उदार, प्रतिज्ञापालक, सीधे और साफ दिल के होते हैं। नीलापन लिए हुए मसूड़े स्वाभिमानी, मोहग्रस्त और रुग्ण शरीर वालों के होते हैं। जिन मसूड़ों में लालिमा अधिक हो उन्हें खुशमिजाजी, कोमलता, बुद्धिमानी और सभ्यता की अधिकता का द्योतक समझना चाहिए।

दाँत और मसूड़ों की बनावट के अनुसार ही ठुड्डी की शकल बनती है। जिस टुड्डी में गड़ा पड़ता है वह आनन्दी और मिलनसार स्वभाव बताती है। मजबूत आदमियों की बड़ी ठुड़ी होती है। जो बड़ी हो, चौड़ी हो मांस कम और हड़ी ज्यादा हो तो उसे धीरता, वीरता, गंभीरता और स्थिरता का लक्षण समझना चाहिए। क्रोधी किन्तु धुन के पके लोगों की ठु्ड्डी देखने में चौकोर सी मालूम पड़ती है। रूखे, उदासीन, शान्त, निराश, स्वल्प संतोषी लोग चिपटी ठोड़ी के देखे जाते हैं। स्वार्थी अक्सर नुकीली ठुड्डी वाले देखे जाते हैं।

आगे की ओर बहुत नुकीली हो तो उसे चालाकी और धूर्तता बताने वाली समझना चाहिए। मेहनती आदमी दबी हुई सी छोटी ठोड़ी वाले होते हैं। इस प्रकार के व्यक्ति यशस्वी और धार्मिक वृत्ति के भी देखे जाते हैं। गोल ठोड़ी वालों को ऐश आराम की कमी नहीं रहती, ऐसे आदमी बहुत मित्रों वाले, धन उपार्जन करने वाले, नई सूझ वाले तथा दूरदर्शी होते हैं। गोल महरावदार ठोड़ी वाले उथले मिजाज के और छछोरी तबियत के होते हैं। लम्बी, आगे को निकली और आगे से एकदम चिपटी ठोड़ी वाले लोग बुद्धिजीवी, पण्डित, वकील, साहित्यकार होते हैं।

आगे के दाँतों की बीच में थोड़ा-थोड़ा फासला होना सदाचारी, उदार, सेवाभावी, निष्कपट होने का चिह्न है। दाँत पर दाँत चढ़ रहे हों तो वह घमण्डी तथा अपनी बात पर अड़े रहने का लक्षण है। बीच के दो दाँतों की बगल के दो दाँत यदि बीच के दाँतों की ओर मुड़ आये हों तो उन व्यक्तियों को सर्वत्र आदर प्राप्त होता है। ऐसे लोंगों में साहस एवं पुरुषार्थ की मात्रा अधिक रहती है।

लम्बाई-चौड़ाई में बराबर चौकोर दाँत वाले मनुष्य बड़े तार्किक तेज बुद्धि वाले होते हैं। मोती से गोल दाँत धनी और सौभाग्यशाली होना प्रकट करते हैं। पतले दाँत प्रसन्न जीवन का निर्माण करते हैं। जिन दाँतों की चौड़ाई अधिक और लम्बाई कम हो वे दरिद्रता की निशानी समझे जाते हैं।

बिल्कुल सफेद दौत हृदय की निर्मलता प्रकट करते हैं। जिन्हें मानसिक चिन्ताएं अधिक रहती हैं उनके दाँत हलका पीलापन ले आते हैं। जिन दौतों पर पीले धब्बे हैं वे आलस्य, पेट की कमजोरी, तथा उष्णता की अधिकता के कारण होते हैं। नीले झलक वाले दाँत मधुर स्वभाव के प्रतिनिधि हैं। मटमैले रंग के दाँत जिनके हों उनका जीवन बड़े सुख से कटता है उन्हें किसी भारी विपत्ति का मुँह नहीं देखना पड़ता।

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    अनुक्रम

  1. चेहरा, आन्तरिक स्थिति का दर्पण है
  2. आकृति विज्ञान का यही आधार है
  3. बाल
  4. नेत्र
  5. भौंहें
  6. नाक
  7. दाँत
  8. होंठ
  9. गर्दन
  10. कान
  11. मस्तक
  12. गाल
  13. कंधे
  14. पीठ
  15. छाती
  16. पेट
  17. बाहें
  18. रहन-सहन

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